रायपुर. निलंबित एडीजी जीपी सिंह के मोबाइल, पेन ड्राइव और टैब को जांच के लिए बेंगलूरु या हैदराबाद लैब भेजा जाएगा। रिमांड अवधि के दौरान मोबाइल का लॉक खोलने के लिए उनसे अनुरोध किया गया, लेकिन जीपी ने सहयोग नहीं करते हुए किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया। हालांकि उसे स्थानीय मोबाइल सेंटर भी ले जाया गया, लेकिन वहां लॉक खोलने पर सभी डाटा डिलीट होने का अंदेशा जताया। इसे देखते हुए अब उसे लैब भेजकर डाटा रिकवर करने की तैयारी की जा रही है। ईओडब्ल्यू के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि उनके मोबाइल फोन में बहुत से राज छुपे हुए हैं जिसमें उनके मददगार से लेकर पर्दे के पीछे छिपकर सहायता करने वालों के नाम है। और हो सकती है छापेमारी

सूत्रों का कहना है कि जीपी से मिली जानकारी के आधार पर टीम कुछ और स्थानों पर छापेमारी कर सकती है। फरारी के दौरान उनसे जुड़े लोगों की सूची उनके करीबियों का ब्यौरा तैयार कर उन्हें भी पूछताछ करने के लिए बुलाया जाएगा इस दौरान उन सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे। गिरफ्तारी के लिए 13 बार अभियान जीपी सिंह की तलाश करने के लिए ईओडब्ल्यू की टीम द्वारा 13 बार अभियान चलाया गया था। लगातार दबिश देने और पकड़े जाने के डर से वह हर बार जगह बदलकर रहते थे। जांच के दौरान गुरुग्राम स्थित एक 16 मंजिला कांप्लेक्स की तीसरी मंजिल में रहने की जानकारी मिली थी

। इसके बाद से मुखबिरों के माध्यम से टीम नजर रखे हुए थी। निगरानी के लिए कर्मचारियों की तैनाती ईओडब्ल्यू के दफ्तर में बनाए गए कक्ष में जीपी के लिए सोने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी उनके दरवाजे के बाहर 2 लोगों को तैनात किया गया था। वहीं उनके और कक्ष में 2 अन्य लोगों को निगरानी के लिए रखा गया था। इस दौरान उन्हे लगातार निगाह रखने के निर्देश दिए गए थे। बताया जाता है कि जीपी सिंह द्वारा परिवार वालों से बात करने की इच्छा जताने पर ईओडब्ल्यू द्वारा उन्हें फोन उपलब्ध कराया गया। इस दौरान उन्होंने परिजनों से चिंता नहीं करने और जल्द ही घर वापस आने का आश्वासन दिया। साथ ही कहा कि वक्त-वक्त की बात है। कभी जिस विभाग के मुखिया थे वहीं पर अब रिमांड रूम में रहना पड़ रहा है। घर का टिफिन लौटाया कोर्ट से रिमांड पर ईओडब्ल्यू मुख्यालय में रखा जाने पर जीपी के परिवार वाले टिफिन में खाना और गर्म कपड़े एवं रजाई लेकर पहुंचे थे। लेकिन प्रोटोकाल का हवाला देते हुए इसे वापस कर दिया गया। कपड़े, दवाईयां और अन्य दैनिक उपयोग के सामान लेने के बाद जीपी को सौंप दिया गया।

हालांकि ईओडब्ल्यू द्वारा उनके लिए सारी व्यवस्था की गई थी। छत पर की वॉकिंग जीपी सिंह ने ईओडब्ल्यू के अफसरों को पहले ही बता दिया था कि वह सुबह और शाम को वॉकिंग करते है। अफसरों ने उनकी इस मांग का विरोध नहीं किया। लेकिन, रिमांड अवधि के दौरान बाहर अनुमति नहीं दिए जाने का हवाला देते हुए ईओडब्ल्यू मुख्यालय की छत पर मॉर्निंग वॉक करने कहा। इसके बाद सुबह करीब 7 बजे और शाम को 6 बजे छत पर ही मार्निंग वॉक करने की अनुमति दी। सुबह करीब 9 बजे दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद अखबार पढ़ने के साथ ही चाय-नश्ता भी किया। मनपसंद खाना मांगा, लेकिन नहीं दिया ईओडब्ल्यू के अधिकारियों से जीपी ने अपना मनपसंद खाना उपलब्ध कराने कहा। लेकिन प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए ऐसा करने से मना कर दिया। रात के खाने में नियमानुसार दाल चावल, 4 रोटी, सब्जी और टमाटर की चटनी और सुबह नास्ते में दलिया और चाय दी गई थी। दोपहर में खिचड़ी खाने की इच्छा जताने पर उन्हें दी गई। बताया जाता है कि उनके परिजनों ने मिलने की इच्छा जताई थी। लेकिन, कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए किसी को मुलाकात करने की अनुमति नहीं दी गई।

आय की गणना करने सवाल दोहराए गए जीपी से ज्यादातर पूर्व में पूछे गए सवालों को दोहराया गया। उन्होंने हर सवालों का विस्तारपूवर्क जवाब देते हुए कहा कि उनकी वार्षिक आय की जानकारी सार्वजनिक रूप से सभी को मालूम है। उन्हें सरकार से प्रतिमाह वेतन मिलता है और इसका ब्योरा इनकमटैक्स की फाइल में विस्तृत रूप से देखा जा सकता है। उनसे शासकीय कार्य के अलावा किसी अन्य तरह के कारोबार में संलिप्तता से जुड़े सवाल भी पूछे गए। इस पर जीपी ने कहा कि शासकीय कार्य के अलावा उनके आय का कोई अन्य साधन नही है। किसी अन्य तरह के बिजनेस या पार्टनरशिप में होने की बात से भी उन्होंंने इनकार किया।