नई दिल्ली। घरेलू बाजार में अधिक स्टॉक के कारण भारत का पाम ऑयल आयात इस साल के पिछले महीने की तुलना में 24 प्रतिशत गिरकर 5,87,467 टन रह गया। उद्योग निकाय सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने मंगलवार को यह जानकारी दी। SEA ने चिंता जताई कि सितंबर तक कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) और अन्य पाम ऑयल के आयात शुल्क में हालिया कटौती, साथ ही दिसंबर तक आरबीडी पामोलिन का अप्रतिबंधित आयात घरेलू रिफाइनर और तिलहन उत्पादकों के हित के लिए हानिकारक होगा।
दुनिया के प्रमुख वनस्पति तेल खरीदार भारत ने जून 2020 में 5,64,839 टन पाम ऑयल का आयात किया था। जबकि मई 2021 में पाम ऑयल का आयात 7,69,602 टन था। देश का कुल वनस्पति तेल आयात इस साल जून में 17 प्रतिशत घटकर 9.96 लाख टन रहा, जो एक साल पहले इसी अवधि में 11.98 लाख टन था। देश के कुल वनस्पति तेल आयात में पाम ऑयल का हिस्सा 60 प्रतिशत से अधिक है।
SEA के अनुसार, घरेलू बाजार में स्टॉक ज्यादा होने के कारण जून में वनस्पति तेल का आयात पिछले महीने की तुलना में कम रहा। एसईए के आंकड़ों के मुताबिक, पाम ऑयल उत्पादों में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का आयात इस साल जून में बढ़कर 5.76 लाख टन हो गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 5.63 लाख टन था। इसी अवधि में कच्चे पाम कर्नेल तेल (CPKO) की शिपमेंट 1,000 टन से बढ़कर 7,377 टन हो गई।
आरबीडी पामोलिन का आयात इस साल जून में बढ़कर 3,200 टन हो गया, जो एक साल पहले 300 टन था।
नरम तेलों में सोयाबीन तेल का आयात जून में घटकर 2,06,262 टन रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 3,31,171 टन था। इसी तरह सूरजमुखी तेल की खेप 2,69,428 टन से गिरकर 1,75,702 टन रह गई। 1 जुलाई तक खाद्य तेल का कुल भंडार 19.87 लाख टन था।