नईदिल्ली 25 मार्च 2022. देश में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के मामलों में कमी जारी है. वहीं, चीन, हांगकांग और ब्रिटेन में इस वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट के बारे में कहा कि ओमिक्रॉन और डेल्टा दोनों के तेजी से फैलने के कारण ये स्थिति आनी ही थी.कोविड-19 के इस नए वैरिएंट का नाम डेल्टाक्रॉन है, जो ओमीक्रोन और डेल्टा के जुड़ने से तैयार हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस वैरिएंट की पहचान भारत में हो चुकी है और 7 राज्यों में मिलने वाले मरीजों को निगरानी में रखा गया है. इन राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली शामिल हैं.
डेल्टाक्रॉन रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट है, जो कि ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के जुड़ने से बना है. डेल्टाक्रॉन की पहचान फरवरी 2022 में हुई थी. दरअसल, पेरिस में Institut Pasteur के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस का एक नया वैरिएंट देखा था, जो कि पिछले वैरिएंट्स से बिल्कुल अलग था.नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, ओमिक्रॉन और डेल्टा के रिकॉम्बिनेशन से बने इस वायरस के लक्षण वैसे ही हैं, जैसे कि पिछली महामारी में थे. लेकिन वैज्ञानिक अभी भी इसकी निगरानी कर रहे हैं और इसके अन्य लक्षणों के बारे में खोज कर रहे हैं.डेल्टा को कोरोना का अब तक का सबसे घातक रूप माना जाता है और डेल्टाक्रॉन, डेल्टा और ओमिक्रॉन के जुड़ने से बना है. अगर कोई इससे संक्रमित होता है तो संक्रमित व्यक्ति को कुछ हल्के और कुछ गंभीर लक्षण महसूस हो सकते हैं.सिरदर्द, तेज बुखार, पसीना आना, ठंड लगना, गले में खराश, लगातार खांसी, थकान, एनर्जी में कमी, शरीर दर्द, ओमिक्रॉन के BA.2 वैरिएंट के लक्षण हैं. Omicron BA.2 के अन्य लक्षण बुखार, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, थकान और हार्ट रेट बढ़ना है.
स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और कोविड एक्सपर्ट ने बताया कि जनवरी में साइप्रस सिटी में 12 केस में डेल्टाक्रॉन वैरिएंट पाया गया था.चूंकि यह वैरिएंट ओमिक्रॉन और डेल्टा से मिलकर बना था, तो ऐसे में यह डर था कि अगर इस वैरिएंट में ओमिक्रॉन की संक्रामक क्षमता और डेल्टा की मारक क्षमता आ गई तो यह काफी घातक साबित हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह वैरिएंट ओमिक्रॉन से तो खतरनाक था, लेकिन डेल्टा से कमजोर था. हालांकि इस वैरिएंट के सभी मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा था, लेकिन उनमें गंभीर लक्षण नहीं थे.
अभी यूके और इजरायल में कुछ केस आए हैं, जिनमें डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के अंश हैं. इसी तरह के केस ही कर्नाटक में रिपोर्ट हुए हैं. अब हमें यह जांच करनी होगी कि यहां यह वैरिएंट कैसा व्यवहार कर रहा है. इसके लिए यह जरूरी है कि जिन मरीजों में डेल्टाक्रॉन के संकेत मिले हैं, उनके सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की जाए. जिन लोगों में नए वैरिएंट की पुष्टि हो, उन्हें कम से कम एक महीने तक आइसोलेशन में रखकर यह देखा जाए कि इनमें कोरोना के लक्षण गंभीर तो नहीं है.