नईदिल्ली I रक्षा क्षेत्र में भारत एक बड़ी कामयाबी की तरफ बढ़ने जा रहा है। दरअसल, डीआरडीओ ने जानकारी दी है कि वह अस्त्र मिसाइल के दूसरे और तीसरे संस्करण को विकसित करने जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार डीआरडीओ के वैज्ञानिक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र मिसाइल MK-1 और MK-2 को विकसित करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। इसकी ताकत जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए ये एक तरह से ब्रह्मास्त्र माने जा रहे हैं।
जानें दोनों मिसाइलों की ताकत
ये मिसाइल बेयॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) हैं। यानी कि जहां पायलट की नजर नहीं जाती वहां पर भी ये दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम हैं। सबसे बड़ी बात इनके ऊपर शत्रु देश के रडार भी काम नहीं करेंगे। यानी ये रडार को भी चकमा देने में भी माहिर है। सबसे बड़ी बात MK-1 मिसाइल 160 किमी की दूरी पर लक्ष्य को भेदने में सक्षम है तो वहीं MK-2 मिसाइल लगभग 300 किमी तक अचूक निशाना लगा सकती है। सबसे बड़ी ताकत जो इस मिसाइल की है वह यह कि ये अपने फाइटर जेट को स्टैंड ऑफ रेंज प्रदान करते हैं। स्टैंड ऑफ रेंज का मतलब होता है कि दुश्मन की तरफ मिसाइल फायर करके खुद उसके हमले से बचने का सही समय मिल जाए।
जानें कब होगी दोनों मिसाइल की लॉन्चिंग
बात करें अब इसकी लॉन्चिंग की तो अस्त्र MK-2 मिसाइल की लॉन्चिंग 2023 में होगी वहीं 2024 में Mk-3 की लॉन्चिंग होगी। अभी तक इस कैटेगरी की स्वदेशी मिसाइल मौजूद नहीं थी। बता दें कि इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने 31 मई को भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को एस्ट्रा एमके -1 मिसाइलों और संबंधित उपकरणों से लैस करने के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ 2,971 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
सबसे दूर संभव सीमा पर लक्ष्यों का पता लगाने में महत्वपूर्ण
सेवानिवृत्त एयर मार्शल अनिल चोपड़ा के अनुसार वायु सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत के लिए एस्ट्रा एमके -2 और एमके -3 जैसी मिसाइलों का विकास करना महत्वपूर्ण है। भविष्य में सबसे दूर संभव सीमा पर लक्ष्यों का पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए ये दो मिसाइलें मील का पत्थर साबित होंगी। ये रडार की डिटेक्शन रेंज में वृद्धि और लंबी दूरी की मिसाइलों के निर्माण के लिए शानदार शुरुआत है।