उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 12

1. ये क्या मजाक है ?

2. ये कैसी आज़ादी है ?

3. ये कैसी बेशर्म व्यथा है ?

4. यही न्याय की व्यवस्था है ?

प्रतिवादी कंपनी के बना
“चार पन्ने 40 चोर चेहरे”

साबित और समीक्षा कराने हो रही अपीलकर्ता की तैयारी,

पंच परमेश्वर द्वारा समीक्षा आवेदन स्वीकार करने उपभोक्ता को भरोसा!

नौ वर्ष दर्जनों साक्ष्य न्याय की बात पर पुनः न्यायिक प्रतिघात,

कोरबा क्षेत्र छत्तीसगढ़ से प्रारंभ होकर राष्ट्रीय आयोग तक पहुंचा
नव ऊर्जा का एक और तहलका,

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जगाने नव ऊर्जा का बढ़ता कदम,

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी नगर (संभाग) कोरबा का विद्युत कनेक्शन अनुज्ञप्ति के अनुसार विद्युत आपूर्ति सेवा प्रदाता कंपनी से विद्युत मीटर क्रमांक 1002074900 का स-शुल्क सेवा प्राप्तकर्ता उपभोक्ता ने जिला फोरम कोरबा में दिसम्बर 2013 में प्रतिवादी विद्युत कंपनी के विरुद्ध परिवाद दायर किया था,
जिसके बाद जिला फोरम ने आवेदन स्वीकार कर जनवरी 2014 से इसमें कार्यवाही प्रारंभ करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।

11/11/2014 को जिला फोरम से उसे किया खारिज,

आदेश में कहा गया और लिखा गया,

परिवादी ने लिखा उसे हमने पढ़ा पर समझा नहीं, प्रतिवादी ने जो प्रस्तुत नहीं किया उसे हमने स्वीकार किया और कर दिया फैसला,

उसके संबंध में हमारी प्रतिक्रिया पेश है।

खुद की काबीलियत पर उपभोक्ता संरक्षण मंच को भरोसा नहीं,
न्याय निर्धारण करने में असफल रहे तो जनता को न्याय कैसे मिले- विषय अत्यंत महत्वपूर्ण और गंभीर है ।

इसलिए की “सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला” पर किया गया कमेंट और एक्शन यू-टर्न कनेक्शन है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हम सबको भरोसा है क्योंकि वह फैसला तथ्य और मौजूदा समय में संदर्भित साक्ष्य के आधार पर हुई रही होगी।

लेकिन प्रत्येक प्रकरण को उसी पर आधारित मानना ग़लत है,

क्योंकि यूपी के मामला में उत्तर प्रदेश की बिजली बोर्ड ने क्या एक्शन लिया और किस तरह की कार्यवाही किया। निश्चित तौर से उनकी वह चार पेपर मंगवाई जाय जिससे इस अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका 2015 के आरपी/1352 और जिला फोरम में प्रतिवादी कंपनी द्वारा बनाए गए और दिखाए गए 2+2 चार पेपर को मंगवाई जाय और उसे जांच में लेकर यूपी पावर कार्पोरेशन की साक्ष्य स्वरूप दस्तावेज पेश किए रहे होंगे,

और सर्वोच्च न्यायालय से आदेशित सम्पूर्ण फाईल मंगवाई जये उसे इस प्रकरण आरपी/1352 से मिलान करवाईं जाये हम उस फैसले का सम्मान करेंगे।

संबंधित प्रतिवादी द्वारा बनाए उनके इस चार पन्ने को सर्वोच्च न्यायालय में न्याय निर्धारण के लिए अपीलकर्ता को लेकर जाने की आवश्यकता ही नहीं होगी।

निश्चित ही हमें देश की न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा है, उम्मीद है, उससे पहले कि पांच जजों के बेंच में अपीलकर्ता द्वारा आक्षेपित संशोधन याचिका पर दिल्ली राष्ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 16 फरवरी 2022 के पारित आदेश में न्यायोचित समीक्षा के लिए आवेदन स्वीकार होगा।

बिजली विभाग के विरुद्ध शिकायत करोगे तो बिजली चोर बना दिए जाओगे

और

उपभोक्ता संरक्षण मंच में परिवाद दायर करोगे तो मुँह की खाओगे

पूर्व निर्धारित फैसला को बदलने से पहले पंच परमेश्वर द्वारा समीक्षा में पारदर्शिता से सुनवाई होगी।

जो देश के 135 करोड़ जनता के हित में होगा न कि प्रतिवादी पावर की पावरफुल कनेक्शन के चार पेपरों की अनुचित व्याख्या, उपभोक्ता संरक्षण के मंच (कोरबा जिला फोरम, छत्तीसगढ़ राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग दिल्ली) से पारित आदेश !

की समीक्षा के लिए बन रही उपभोक्ता द्वारा समीक्षा आवेदन,

माननीय आयोग के समक्ष पेश करने में कुछ देरी जरूर है, हम देरी की क्षमायाचना करते हुए इसे दायर करेंगे!

Dainik “नव ऊर्जा” की पड़ताल से ऊर्जा धानी में पावरफुल पावर पर

जब जारी होगा जांच का तहलका

शिकायतकर्ता के विद्युत मीटर की लाईट को 11 जनवरी 2013 में प्रतिवादी कंपनी ने काट दिया और बिना कार्यवाही किए और बिना भौतिक साक्ष्य और बिना कोई रकम वसूल किए 13 जनवरी को जोड़कर कंपनी द्वारा अपनी गलती स्वीकार भी किया ।

उसने यह भूल गया कि हमने गलती किया तो इसकी कारण भी उन्हें स्पष्ट करना था…स्पष्ट करना होगा… कारण कुछ भी नहीं था, इसलिए तो शिकायत कर्ता का लाईट बंद कर उसे फिर से जोड़-कर मामला को उसी दिन साफ कर दिया,

आगे का पूरा मामला जानने के लिए पंचशील के सिद्धांत पर नव ऊर्जा से जुड़कर हमारे वेबसाइट पर मौजूद प्रमाण का लाभ उठाते रहें।

1. लाइन क्यों काटे और क्यों जोड़ दिया मजाक है कि नहीं कमेंट करें,

अपने रिकार्ड में दर्ज करें क्योंकि ये कमेंट आपको सिर्फ नव ऊर्जा दैनिक समाचार पत्र के वेब पोर्टल दैनिक नव ऊर्जा पर ही देखने और पढ़ने को मिलेंगे ।

नारायण प्रसाद केशरवानी
संपादक
नव ऊर्जा
दैनिक समाचार पत्र, कोरबा, छत्तीसगढ़ से प्रकाशित