अरूण साव, संतोष पाण्डेय, सुनील सोनी के साथ सरोज पाण्डेय खेमा भी उत्साहित

रायपुर 15 जून 2021। मोदी मंत्रिमंडल के फेरबदल में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की अटकलें तेज हैं। बीजेपी के भीतर चर्चा है कि मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में छत्तीसगढ़ का भी ध्यान रखा जाएगा। बीेजेपी सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ से बिलासपुर सांसद अरुण साव, राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय, रायपुर सांसद सुनील सोनी और राज्य सभा सदस्य सरोज पाण्डेय के नाम पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, इसमें सरोज पाण्डेय को छोड़ दें तो सभी पहली बार के सांसद हैं। पहली बार के सांसद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंत्री बनाएंगे, इस बीजेपी नेता मौन हैं।

मौजूदा हालत में सरगुजा सांसद रेणुका सिंह केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। रेणुका महिला हैं और आदिवासी। इसके अलावा सूबे में राजनीतिक सक्रियता की बात करें तो वह शून्य ही कहा जाएगा। रेणुका सिंह से बीजेपी संगठन को कोई फायदा नहीं है। ना ही वो किसी धरना, प्रदर्शन में शरीक होती हैं और न ही महत्वपूर्ण विषयों पर उनका कोई बयान ही आता है। हालांकि, भाजपा के जानकारों को नहीं लगता कि निष्क्रिय होने के बाद भी बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें मंत्री पद से हटाएगा। इसके पीछे उनका महिला और आदिवासी होना अहम माना जा रहा है।

ये अवश्य चर्चा है कि छत्तीसगढ़ से एकाध मंत्री बढ़ाए जा सकते हैं। राजधानी के सांसद होने के नाते सुनील सोनी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की कोशिश में हैं। तो दुर्ग लोकसभा सीट से संसद में पहुंच चुकी सरोज पाण्डेय का नाम तो पहले भी कई बार केंद्रीय मंत्री बनाने के लिए चर्चा में आ चुका है। सरोज फिलहाल राज्य सभा सदस्य हैं। उधर, भाजपा के गलियारे में राजनांदगांव सांसद संतोष पाण्डेय का नाम भी लिया जा रहा है तो बिलासपुर के सांसद अरुण साव का भी। अरूण साव हाईकोेर्ट वकील होने के साथ ही साहू समाज से आते हैं। जातीय वोटबैंक की दृष्टि से अरुण साव का पलड़ा हालांकि, भारी दिखता है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के पास कुर्मी समाज से कई चेहरे हैं लेकिन साहू समाज से चंद्रशेखर के साहू के अलावा कोई बड़ा नाम नहीं है।

हालांकि, बीजेपी के ही कुछ नेताओं का कहना है कि अभी उत्तर प्रदेश में चुनाव है। इस लिहाज से केंद्रीय नेतृत्व का फोकस यूपी होगा। छत्तीसगढ़ से किसी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, इस पर अभी कुछ नही कहा जा सकता।

सियासी प्रेक्षक भी मानते हैं कि केंद्र में सरकार किसी की भी हो, हमेशा छत्तीसगढ़ की उपेक्षा होती आई है। कांग्रेस ने भी एक मात्र चरणदास महंत को राज्य मंत्री बनाया तो बीजेपी ने भी मोदी की दोनों पारियों में यही किया। फिर भी अगर मंत्रिमंडल विस्तार में पारफारेंस मापदंड होगा तो रेणुका के बदले या तो किसी और को मौका दिया जा सकता है या फिर भाजपा के अंदरखाने में एक और चेहरे को अवसर देने की अटकलें चल रही है।

सात वर्षों में सिर्फ तीन बार हुआ मंत्रिमंडल में फेरबदल

सात वर्षों में सिर्फ तीन बार मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल करना, अपने आप में एक रिकॉर्ड ही होगा. 2014 से 2019 के बीच मोदी ने सिर्फ तीन बार अपनी मंत्रिमंडल में फेरबदल किया. पहली बार 10 नवम्बर 2014 में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और 21 नेताओं को सरकार में शामिल किया गया. दूसरी बार 5 जुलाई 2016 को यह पहला अवसर था जब ना सिर्फ 19 नए मंत्रियों को शामिल किया गया, पांच राज्य मंत्री जिसका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता भी दिखाया गया.
तीसरी और आखिरी बार 3 सितम्बर 2017 में मोदी सरकार का विस्तार हुआ जबकि चार राज्य मंत्रियों को प्रमोशन दे कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया और नौ नए चेहरों को मंत्री बनाया गया. अगर मोदी का मंत्रियों के बारे में लिए गए फैसले का अध्ययन किया जाए तो यह साफ़ है कि उन्हें ऐसे सहयोगियों की मंत्री के रूप में जरूरत है जो अपना काम मुस्तैदी से कर सकते हैं. जहां जिनका काम-काज संतोषजनक नहीं था उन्हें ड्रॉप भी किया गया, जिनका काम सराहनीय था उन्हें राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोशन भी मिला.
केंद्र सरकार में अधिकतम 83 मंत्री हो सकते हैं, पर कभी भी मोदी ने किसी को खुश करने के लिए मंत्रियों की बड़ी जमात खड़ी नहीं की. अभी भी मोदी सरकार में 24 और नए मंत्री शामिल करने की गुंजाइश है, पर लगता नहीं है कि मंत्रिमंडल में भारी भरकम विस्तार होगा. मोदी सरकार में फिलहाल 21 कैबिनेट मंत्री, नौ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 29 राज्य मंत्री हैं.