०००: विश्व योग दिवस :०००
{ करभ दोहा छन्द }
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इक्कीस जून आज है , विश्व योग दिन जान ।
सारा विश्व मना रहा , करता रोग निदान ।।१।।
योग भगाता रोग को , रोग विहीन शरीर ।
अभ्यास करें रोज है , रखके मन में धीर ।।२।।
काम करता योग सदा , जागो करो प्रयास ।
शीघ्र उठें आलस तजें , होना नहीं उदास ।।३।।
व्याप्त रहे व्याधि तन में , हो जाते सब दूर ।
नीरोगी काया बने , चमक बढ़े भरपूर ।।४।।
विद्या महान योग का , मन बनता निष्पाप ।
सब विकार है नष्ट हो , करके देखो आप ।।५।।
बैर भाव मन से मिटे , बढ़े आत्म विश्वास ।
काम-क्रोध-मद-लोभ हैं , होने लगते ह्रास ।।६।।
मोह – मत्सर सभी मिटे , मीठी निकले बैन ।
तन भी है पावन बने , निदिया आये रैन ।।७।।
मिट जाता अवसाद है , चिन्ता मिटे प्रमाद ।
चुस्ती – फूर्ती तन बढ़े , यह जग देता दाद ।।८।।
आलस मिटता देह का , बढ़ते जाता ओज ।
रोगों से है यह लड़े , करते रहना रोज ।।९।।
आता है इसको किये , मन में नेक विचार ।
एकाग्रता खूब बढ़े , बढ़ता नित संस्कार ।।१०।।
यह संस्कृति रक्षक रहा , माया को दे तोड़ ।
नसेनी रहा मोक्ष का , हरि से लेकर जोड़ ।।११।।
आज विश्व में यह बढ़ा , करे योग संसार ।
मोदी ने ‘ठाकुर’ इसे , दिया जगत विस्तार ।।१२।।
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-जगतसिंह ठाकुर ‘बंजारीवाले’
९४०६०५७७६३ , ६२६६५२४२६१