यूनिक़ आइडेंटिफ़िकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (यूआईडीएआई) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि वो सेक्स वर्करों को बिना किसी आवास/पहचान पत्र के ही आधार कार्ड जारी करने को तैयार है.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, यूआईडीएआई ने कहा है कि सेक्स वर्करों को आधार कार्ड बनवाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत राजपत्रित स्वास्थ्य अधिकारी या फिर नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (NACO) के किसी अधिकारी से सर्टिफ़िकेट बनवाना होगा.

यूआईडीएआई का ये सुझाव सुप्रीम कोर्ट में लाखों सेक्स वर्करों के पास भोजन की गारंटी न होने को लेकर दायर याचिका पर आया है.

अदालत इस बारे में दलीलें सुन रही है कि कैसे अधिकारी और कम्युनिटी आधारित संगठन यौनकर्मियों तक पहुंच सकते हैं और उन्हें उनकी पहचान ज़ाहिर किए बिना राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड दे सकते हैं.

यूआईडीएआई की ओर से कोर्ट में मौजूद वकील ज़ोहेब हुसैन ने कहा कि ये सुनिश्चित करना दायित्व था कि सिर्फ़ आधार कार्ड न होने की वजह से समाज के किसी भी वर्ग को भोजन जैसे उनके मूल अधिकारों से वंचित न रखा जाए