New Delhi. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे और भाजपा नेतृत्व के बीच हाल ही में दिल्ली में बैठक हुई। इस मुलाकात ने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है। यदि बातचीत सार्थक रही तो उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। आपको बता दें कि राज ठाकरे ने दिल्ली में बीजेपी नेता विनोद तावड़े से मुलाकात की थी। इसके बाद वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले थे। लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की अटकलें लगने लगीं।

इंडिया टुडे टीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा कि राज ठाकरे और विनोद तावड़े के बीच हुई मुलाकात से कई संभावनाएं खुल सकती हैं। एक संभावना यह भी है कि राज ठाकरे की पार्टी ता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ विलय हो सकता है। पारंपरिक ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ सकते हैं।

एकनाथ शिंदे को चुनाव आयोग के फैसले के बाद पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया। उन्हें अधिकांश विधायकों, सांसदों और पार्षदों का भी समर्थन प्राप्त है, लेकिन मराठी माणूस की भावना अभी भी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के साथ है।

मराठा वोट और ठाकरे की राजनीति

शिव सेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने मराठा समुदाय को एकजुट किया और उनमें एकता की भावना स्थापित की। इसके बाद से ठाकरे नाम और शिव सेना का ‘धनुष और तीर’ ने मराठों को एकजुट रखा। हलांकि, एकनाथ शिंदे ने बगावत करके शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया। वह भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बने। सूत्रों का कहना है कि उन्हें राजनीतिक रूप से शक्तिशाली मराठा समुदाय का समर्थन प्राप्त नहीं है।