मरने के बाद लोग लाशों पर नई साड़ी-ड्रेसेस डाल गए

महासमुंद के बेमचा गांव में गुरुवार को एक ही कब्र में मां और उसकी 5 बेटियों को दफन कर दिया गया। इन सभी छह ने बुधवार रात लिंक एक्सप्रेस ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। सभी अपने शराबी पिता, गरीबी और अभावों से त्रस्त थीं। इनकी बदनसीबी की इंतहा ऐसी थी, कि जीते जी ये सभी एक जोड़ी नए कपड़ों के लिए तरसते रहीं और आज इनकी लाशों पर लोग नए कपड़े चढ़ा गए।

केजराम की क्रूरता ने खत्म कर दिया परिवार m1

पेशे से हमाल केजराम आदतन शराबी है। रोज शराब पीना और पत्नी-बेटियों से मारपीट, गाली-गलौज भी उसकी आदत में शामिल है। अपनी कमाई शराब में उड़ा देने के बाद वह पत्नी उमा से भी पैसे मांगता था। गांव में उसके पड़ोसी और रिश्तेदार बताते हैं कि बेटा नहीं होने को लेकर भी उसने कई बार उमा की पिटाई की। पांच बेटियों का पेट भरने के लिए उमा भी मजदूरी करने जाती थी। उसकी 18 साल की बड़ी लड़की अन्नपूर्णा, 16 साल की दूसरी बेटी यशोदा भी पढ़ाई के साथ-साथ काम करती थीं कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो।

उनके जानने वाले कहते थे कि बेटियां अच्छे खाने, कपड़ों के लिए हमेशा तरसती ही रहीं। बच्चियां घर-घर जाकर काम करती, लेकिन इससे उनका पेट ही भर पाता। उधर केजराम अपनी पत्नी और बेटियों के चरित्र पर सवाल उठाते हुए उन पर लगातार जुल्म करता। इसका अंजाम उमा ने अपनी पांच बेटियों समेत जान दे दी। पुलिस ने केजराम को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया जाएगा।

ऐसे खत्म हुआ परिवार

बुधवार 9 जून की रात केजराम शराब पीकर आया और खाना अच्छा नहीं बनने की बात पर उमा को गालियां देनी शुरू की। उमा ने उसे जवाब दिया तो उसने मारपीट शुरू कर दी। उसे बचाने अन्नपूर्णा आई तो उसने उसे भी मारा। अपनी बाकी बेटियों को भी उसने पीटा और घर से निकल जाने कहा। रोज-रोज की जिल्लत से तंग आकर उमा और अन्नपूर्णा ने यशोदा, भूमिका (14), कुमकुम (12) और तुलसी (10) को साथ लिया और मरने का फैसला कर लिया। सभी केजराम से परेशान थीं। ये सभी गांव के पास रेलवे ट्रैक पर पहुंचे। तभी 9.30 बजे लिंक एक्सप्रेस आती दिखाई दी और सभी एकसाथ उसके सामने आ गए। पलक झपकते ही तेज रफ्तार ट्रेन ने उनके शरीर को ट्रैक पर बिखेर दिया।

पायलट ने रेलवे में सूचना दी, लेकिन शव सुबह ही मिले

ट्रेन पायलट ने कंट्रोल में सूचना दी कि महासमुंद के आसपास ऐसा कुछ हादसा हुआ है, लेकिन वह यह नहीं बता पाया कि 6 लोग टकराए हैं। इसलिए रात में बहुत ज्यादा जांच रेलवे की तरफ से नहीं हुई। सुबह जब ग्रामीण उस तरफ से निकले तो 6 लाशें देखकर डर गए। इसके बाद गांव में, पुलिस तक यह बात पहुंची। पुलिस पहुंची और उमा, उसकी बेटियों को तलाश कर रहे लोग भी आए। उन्होंने पहचान की और यह दर्दनाक कहानी सामने आई।