रायपुर। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की ओर से किया गया एक नए तरह का खेल सामने आया है। अधिकारियों ने करीब 400 करोड़ रुपये की सरकारी राशि सरकारी बैंक से निकालकर निजी बैंकों में जमा कर दी है। इसके एवज में बैंकों से पांच गाड़ियों समेत कुछ अन्य सुविधाओं का सौदा हुआ है। दो डिजायर गाड़ियां विभाग को मिल भी गई हैं। अब जब यह चर्चा गर्म हो गई है तो अधिकारी लीपापोती करते हुए दान में मिलीं गाड़ियों को लौटाने की बात कह रहे हैं।
जानकारी के अनुसार समेकित बाल विकास योजना (आइसीडीएस) के तहत बच्चों के उचित मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास के लिए केंद्र सरकार राशि भेजती है। यह राशि आंगनबाड़ी भवनों, बच्चों के टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, पूरक पोषण आहार, बच्चों की अनौपचारिक शिक्षा आदि पर खर्च की जाती है। विभागीय अधिकारियों ने केंद्र प्रवर्तित योजनाओं की इस राशि को निजी बैंकों में जमा कर दिया है।
एकीकृत बाल विकास परियोजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना की राशि भी इसमें शामिल है। इसके एवज में सौदे के मुताबिक मिलीं दो डिजायर गाड़ियों का उपयोग संयुक्त संचालक और सहायक संचालक कर रहे हैं। वहीं दो डिजायर और एक मारुति सुजुकी सियाज अभी मिलनी हैं। अधिकारियों का कहना है कि ये गाड़ियां सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के तहत दी गई हैं, जबकि विशेषज्ञों की मानें तो सीएसआर के नियमों में अधिकारियों के लिए वाहन खरीदने का इस फंड में कोई प्रविधान नहीं है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक दिलदार सिंह मरावी ने कहा, भारत सरकार के निर्देश पर ही हमने तीन निजी बैंकों में खाता खुलवाया है। राशि वहीं जमा करने के लिए निर्देश दिया गया था। हम अपने मन से कुछ नहीं करते। गाड़ियां दान में मिली थीं। उन्हें अब लौटा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया ने कहा, सीएसआर के तहत विभाग को गाड़ी भी मिली है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। जिन अधिकारियों को गाड़ी दी गई है, उनसे ही जानकारी ले लेती हूं। मामले की जांच कराऊंगी।